जालंधर :- दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा सावन महीने में विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित शिव आराधना भजन संध्या का आयोजन किया गया। यह आयोजन श्रीराम यज्ञ शाला, श्रीराम मंदिर हाल, डिफेंस कॉलोनी, जालंधर में किया गया। भगवान शिव की महिमा का गुणगान करते हुए गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी गरिमा भारती जी ने बताया कि शिव, जिन्हें महादेव, नीलकंठ और त्रिनेत्रधारी के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक अभिन्न हिस्सा हैं। उनके गुण, अवतार और उपदेश मानवता के लिए सदियों से प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
भगवान शिव त्रिदेवों में से एक हैं और उन्हें संहारक के रूप में पूजा जाता है। उनके त्रिनेत्र से जगत की रचना, पालन और संहार की प्रक्रियाएं संचालित होती हैं। उनकी तीसरी आंख ज्ञान, शक्ति और धैर्य का प्रतीक मानी जाती है। कैलाश पर्वत पर उनका वास, गंगा की धाराओं को उनकी जटाओं में धारण करना और उनके गले में नाग का निवास उनकी अद्वितीयता को दर्शाता है।
शिव की महिमा केवल उनके रूप और शक्ति तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उनके भक्तों के प्रति उनके असीम करुणा और प्रेम में भी प्रकट होती है। उनकी पूजा करने से मनुष्य के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिवरात्रि, जो भगवान शिव की आराधना का प्रमुख त्योहार है, पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करते हैं।
भगवान शिव के अद्वितीय तांडव नृत्य, जो सृष्टि के रचयिता और संहारक के रूप में उनकी भूमिका को चित्रित करता है, ने भारतीय शास्त्रीय नृत्य और कला पर अमिट प्रभाव डाला है। नटराज के रूप में उनकी प्रतिमा नृत्य और कला के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।
भगवान शिव की महिमा को मान्यता देते हुए, भारतीय समाज ने उन्हें अपने जीवन के हर पहलू में शामिल किया है। उनकी उपासना केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व की भी है। शिव की असीम कृपा और शक्ति से प्रेरित होकर हम अपने जीवन को श्रेष्ठता और पुण्य की ओर अग्रसर कर सकते हैं। हम सभी पूर्ण गुरु से ब्रह्म ज्ञान प्राप्त कर अपने भीतर भगवान शिव को जाने और अपना जीवन कृतार्थ करें। इस दौरान स्वामी सज्जनानंद जी को प्रबंधक कमेटी कुलवंत राय, डोगरा, सुखदेव सिंह ने श्री राम जी का सुंदर राम दरबार देकर सम्मानित किया। अंत में श्री आरती के साथ भजन संध्या संपन्न हुई।
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